नदी में डूबती सोहणी
किसी को याद नहीं रहती,
याद रहती है - उसकी कहानी
भ्रामक है कहानियां
झूठ गढती हैं।
कोई नहीं बताता
आखिर आदर्श
बेवकूफ ही क्यों होते हैं!
क्यों उन्हें कच्चे और पके घडे.में अंतर नहीं सूझता ?
ये आदर्श
जब मूर्खता की चरमसीमा पर ही अडे हैं
तो
खतरा है ऐसे आदर्शों से
खतरा है ऐसी सोच से!
कहानियां बनाती
झूठ जीती
मूर्खता से !
किसी को याद नहीं रहती,
याद रहती है - उसकी कहानी
भ्रामक है कहानियां
झूठ गढती हैं।
कोई नहीं बताता
आखिर आदर्श
बेवकूफ ही क्यों होते हैं!
क्यों उन्हें कच्चे और पके घडे.में अंतर नहीं सूझता ?
ये आदर्श
जब मूर्खता की चरमसीमा पर ही अडे हैं
तो
खतरा है ऐसे आदर्शों से
खतरा है ऐसी सोच से!
कहानियां बनाती
झूठ जीती
मूर्खता से !
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