Tuesday, May 5, 2015

नदी में डूबती सोहणी

नदी में डूबती सोहणी
किसी को याद नहीं रहती,

याद रहती है - उसकी कहानी

भ्रामक है कहानियां
झूठ गढती हैं।

कोई नहीं बताता
आखिर आदर्श
बेवकूफ ही क्यों होते हैं!

 क्यों उन्हें कच्चे और पके  घडे.में अंतर नहीं सूझता ?
ये  आदर्श
जब  मूर्खता की चरमसीमा पर ही अडे हैं
तो
खतरा है ऐसे  आदर्शों से
खतरा है ऐसी सोच से!

कहानियां बनाती
झूठ जीती
 मूर्खता से !

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