Friday, August 6, 2010

सपने


पहले सपने बुनती थी मैं।
पर जब तुम झूठ गढ़ने लगे,-
तो मैं कहानियाँ बनाने लगी।
हर झूठ को छिपाने के लिए-
पाँच कहानियाँ ।
कहानियाँ बनाते-बनाते जब देखा,
तो तुम ही नहीं रहे।
मेरे पास बचा था-बस कहानियों का ढेर ।

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