घुमन्तू।
हम सब - लगाते हुए बोलियाँ, पसार कर बैठते हैं शब्द; बहुत कुछ है जो अंधेरों में होता है, पर कुछ है जो होता है, सरे आम- बीच बाज़ार।
Tuesday, July 6, 2010
नजर बाज़ार पर, पैर कतार में
कतार में तो आना ही है सबको। एक न एक दिन राम भी रहे होंगे कतार में। चीनी के लिए कतारें तो मधुमेह ने बंद कर दीं, पर पानी के लिए कतार कुछ नई बात है। क्या किसी ने बोतलबन्द पानी के लिए कतार लगी देखी है? हाँ स्लीपर कूपे में यह हाल कभी होता है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने चौथी कट आफ़ भी जारी कर दी। किसी को कट आफ़ का मतलब पता है? नज़रें सब बाज़ार पर हैं, पैर भी सब कतार में हैं, पर पता नहीं सब कतारें कट आफ़ क्यों हो जाती हैं!
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